New Labour Laws 2024 : नए श्रम कानूनों में सुधार

 जय हिन्द चलिए समझते है न्यू लेबर लॉ के बारे मे क्या है ये श्रम कानून एक्चुअली 2005 मे तीन अलग - अलग लॉ को मिलाकर बना दिया गया था एक श्रम कानून जिसमें, पहला  Trade यूनियन एक्ट 1919 , दूसरा डिस्ट्रीव्यूट 1947और तीसरा 1948 को मर्ज करके बनाया गया था ,और इसमे हल फिलहाल मे उत्तरप्रदेश सरकार ने संसोधन किये है |

 अब जानते है New Labour Laws मे क्या संसोधन किया गया है इसके बारे मे जिस व्यक्ति को पुराने  लॉ के बारे मे नहीं पता है , उस व्यक्ति को न्यू लेबर लॉ के बारे मे क्या संसोधन हुआ इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं चलेगा , इसलिए सबसे पहले पुराने लॉ को समझना होगा जो निन्मलिखित इस प्रकार है | 


New Labor Laws Reforms(नए श्रम कानूनों में सुधार)वर्ष 2005 मे किया गया है | इसके बारे मे इस आर्टिकल मे विस्तार से जानेगे | 

जय हिन्द चलिए समझते है new labour laws के बारे मे क्या है ये श्रम कानून एक्चुअली 2005 मे तीन अलग - अलग लॉ को मिलाकर बना दिया गया था एक श्रम कानून जिसमें Trade यूनियन एक्ट 1919 , दूसरा डिस्ट्रीव्यूट 1947औरतीसरा 1948 को मर्ज करके बनाया गया था और इसमे हल फिलहाल मे उत्तर प्रदेश सरकार ने संसोधन किये है | अब जानते है लेबर लॉ मे क्या संसोधन किया गया है इसके बारे मे जिस व्यक्ति को पुराने  लॉ के बारे मे नहीं पता है , उस व्यक्ति को new labour laws के बारे मे क्या संसोधन हुआ इसके बारे मे कुछ भी पता नहीं चलेगा , इसलिए सबसे पहले पुराने लॉ को समझना होगा जो निन्मलिखित इस प्रकार है |

labor laws in india:(भारत में श्रम कानून) निन्मलिखित इस प्रकार था | 

Labor laws (श्रम कानून) : यह कानून समबर्ती सूचि मे आते है यानि Concrete मे आते है इसमें सेंट्रल सरकार भी और राज्य सरकार भी कानून बना सकती है | यह तो समझ मे आ गया अब जानते है की labor laws in india भारत में श्रम कानून क्यों बनाया गया ? इसका उत्तर यह होगा की मजदुर और मालिक के बिच एक कानून रहना चाहिए, यह कानून इसलिए रहना चाहिए की न ही मालिक मजदुर को शोषण कर सके और न ही मजदुर मालिक को तंग कर सके | यही कारन है की मालिक और लेबर के बिच एक कानून रहना चाहिए जिसे लेबर और मालिक के बिच संतुलन बना रहे |अगर कानून नहीं रहेगा तो मालिक अपनी हदे पार कर सकता है ,और लेबर के पास अपनी यूनिटी ( संगठन ) होता है , मालिक तो एक ही होती है अगर सभी लेबर मिलकर मालिक को मार - पिट कर दे तो क्या होगा इसीलिए मालिक और लेबर के बीच एक कानून होना अनिवार्य है | जो दोनों पक्षों को सही - सही ढंग से नियंत्रण करके चला सके | मालिक को शोषण करने न दे और लेबर भी अपनी मनमानी न कर सके इसलिए  ये दोनों के लिए जरुरी हैं |चलिए अब समझते है श्रम कानून के बारे मे पहले आप ये ध्ययान रखिये  की लेबर लॉ मे ज्यादा झुकाब लेबर की बेनीफिट की ओर है | कानून मानता है की लेबर गरीब होता है अपनी आवाज को ज्यादा नहीं उठा पाते हैं और कही न कहीं मालिक अमीर होने की बजह से अपनी बाते को ज्यादा पॉवरफुल तरीके से रख लेते है इसलिए लेबर लॉ मे लेबर को एक्स्ट्रा बेनिफिट देता हैं| लेबर लॉ के तहत कहा गया है की आप बंधुआ मजदुर नहीं रख सकते है बंधुआ मजदुर का मतलब बॉण्डेड लेबर नहीं रख सकते हैं , पहले बन्धुया मजदुर क्या होता है इसके बारे मे जानते है - मानलीजिए की कोई आदमी किसी से कर्ज लिया और उस कर्ज को नहीं चूका पाया तो वह तब तक उसके पास मजदूरी करेगा जब तक की वह उस कर्ज को चूका नहीं देता इसी को बंधुआ मजदुर कहा जाता था | इस प्रकार मालिक द्वारा मजदूरों को शोषण किया जाता था | तो अभी आप किसी को बन्धुआ मजदुर नहीं रख सकते है | ये कानून न्यू लेबर लॉ के तहत बदला गया है जिसे मजदुर का शोषण न कर सके और कम्पन्सेशन देना अनिवार्य है | यदि कार्य स्थल पर किसी लेबर की मौत हो गई तो उसके घर वाले को मुआवजा देना पड़ेगा , यदि वह विकलांग हो गया जैसे - हाथ - पैर टूट गया तो इलाइज करवाइये और उसको कुछ पैसे देने पड़ेंगे | अब जानते है बिल्डिंग्स रूल्स के बारे मे इस रूल्स मे यह बताया गया है की बहुत ज्यादे ऊँचाई पर काम करवा रहे है तो निचे जाली लगवाना पड़ेगा इसलिए कि वाई दिवे कहीं फिलसकर निचे नहीं गिर जाय | अगर वह किसी कारन निचे गिर भी जाये तो वह जाली पर अटक जाएगा | इसीलिए ये सभी रूल्स होते है जिसे लेबर का सुरक्षा हो पाए |  मजदुर अगर धुप मे काम कर रहा है तो उसकी सुरक्षा के लिए बिल्डिंग के चारो तरफ हरा - हरा रंग के जाली या परदा लगवा देनी चाहिए क्योंकि वह भी इनसान ही है  | ये सारि सुबिधाए लेबर लॉ में न्यू लेबर लॉ के तहत जोड़ा गया है | जिसे मजदुर को भी कुछ भला हो सके | 

कुछ ऐसे बिल्डिंग्स रूल्स होते है जिसे बदला नहीं जा सकता जैसे : बंधुआ मजदुर , कम्पन्सेशन , बिल्डिंग्स रूल्स और Timely Payment इस नियम को सरकार भी नहीं  बदल सकते है | ऐसे नियम को श्रम का मूल्य अधिकार कहा जाता हैं | अब जानते है न्यू लेबर लॉ के तहत जितने भी रूल्स को  उत्तर प्रदेश सरकार ने जितने भी लॉ को बदले है उन सभी लॉ को डिटेल्स मे जानते है | 

 Wags Act क्या है | लेबर के लिए सबसे बड़ा बेनिफिट 

Wags Act :- उनका मजदूरी कितना होता है उनकी सैलेरी कितनी देनी होती है , तो देखिए सैलरी उनको 8 घंटे का देना है | यदि आप 8 घंटे से एक घंटा एक्स्ट्रा करवाते है यानि 9 घंटे करवाते है तो Wags Act के तहत ये 9 घंटा ये 8 घंटा के बराबर नहीं होगा यानि शुरुआती एक घंटा से लेबर 8 घंटा तक जितनी सैलरी मिलती है यानि हर घंटे के हिसाब से अगर 8 घंटा क्रॉस करके ओवरटाइम कर रहे है तो उन्हें दुगनी सैलरी देनी होगी | मान लीजिए किसी व्यक्ति को प्रतिदीन 8 घंटा काम का 800 रुपिया मिलता है यानि एक घंटा का 100 रुपिया और 8 घंटे का 800/- अगर आप चाहते है उससे एक घंटा और एक्स्ट्रा करवाये तो आप उसे टाइम लिमिट से एक्स्ट्रा करवा रहे है यानि 9 घंटा अंतिम का एक घंटा एक्स्ट्रा करवाये है | अब इसका 100 रूपया नहीं देना होगा , हालाँकि बनता तो है 100 रुपैया ही लेकिन Wags Act के तहत आपको 200 रुपिया देना पढ़ेगा ओवर टाइम का क्योंकि काम तो कर दे रहा है लेकिन वे शरीर की क्षमता से ज्यादे कर रहा है इसलिए पैसा भी ज्यादा लगेगा ये आते है Wags Act के तहत उसके बाद जानते है Maternity law के वारे मे

What is Maternity law ( मातृत्व कानून क्या है?)

Maternity law के तहत आप किसी गर्भवती महिला से जोखिम भरा काम नहीं करवा सकते है डिलेवरी के कुछ महीने पहले और कुछ महीने वाद तक उसे लिव  यानि ( छुट्टी ) देनी पड़ती है , और उसे सैलरी नहीं कटनी है | उसके बाद जानते है लेबर यूनियन के वारे मे

श्रमिक संघ क्या है? : What is Labor Union 

 लेबर यूनियन हर लेबर अपना एक यूनियन बना सकता था | अगर मालिक आवाज नहीं सुनता है तो यूनियन मे जा कर उसे शिकायत कर सकते थे | अब जानते है work dispute के वारे मे

What is Work Dispute : कार्य विवाद क्या है?

 कभी - कभी क्या है की आप काम करने के लिए बुलाए , लेकिन उससे कुछ और कोई दूसरा काम करवाने लगे मान के चलिए की किसी मजदुर को बुलाए की घर बनवाना है लेकिन उससे किसी दूसरा काम करवाने लग गए ऎसे मे Work Dispute हो जाता है जो नहीं होना चाहिए | जिस काम के लिए बुलाये है वही काम करवाये नहीं तो work dispute माना जायेगा , जो लेबर लॉ के बिरुद्ध है  | ऐसे मे मालिक और मजदुर के बिच विवाद हो सकता है | चलिए अब समझते है Better   work place के वारे मे

which is the better place to work : Worker को काम करने के लिए बेहतर कार्य स्थल देना चाहिए ? जिसे लेबर काम अच्छा से कर सके | 

Better work place देना चाहिए यानि अच्छा जगह दीजिए काम करने के लिए मान के चलिए की आप अपने यहाँ कोई फैक्ट्री खोली और उसमे उत्पादन कर रहे है | सफाई की कोई काम नहीं , सुरक्षा का कोई मतलब नहीं कही से कोई तार लिक हो रहा रहा है , किसी को बिजली मार सकती है , किसी को डेंगू ,मलेरिआ हो सकता है तो आप उसे Better work place देंगे | अब जानते है कॉन्ट्रैक्ट लेबर के बारे मे

what is contract labour (कॉन्ट्रैक्ट लेबर क्या है) लेबर कितने प्रकार के होते है ?

 मजदुर दो प्रकार के होते है एक होते है Permanent और एक होते है Contract जैसे - कोई एक बिल्डिंग वन रहा है , तो उसे वनाने के लिए मिस्त्री रखना है और लेबर भी रखना है जैसे ही बिल्डिंग वन जायेंगे तो काम ख़त्म हो जाएगी जब काम ख़त्म हो जाता है तो लेबर और मिस्त्री अपना हिसाब करके अपना मजदूरी लेकर अपना - अपना घर चली जाना चाहिए लेकिन मालिक को इसी बात का दर रहता है की कही वह यूनियन वनाकर तंग न करने लगे इसीलिए वह लेबर मिस्त्री से बात न करके यह कॉन्ट्रैक्ट से बात करके काम करवाने लगे जिसे कॉन्ट्रैक्ट को काफी मुनाफा होता है और लेबर को मजदूरी कम मिलता है इसलिए सरकार ने लेबर लॉ मे संसोधन करके कह दिया की दलाल को हटाए और खुद जाकर लेबर से बात कर ले की भैया हम आपको परमानेंट नहीं रख रहे है | इस काम के लिए ३ साल के लिए रख रहे है मंजूर है तो हस्ताक्षर करे नहीं तो जाये | अगर वह हस्ताक्षर कर दिए तो वह कोर्ट भी उनका बात नहीं सुनेगा , इसलिए की आप पहले ही signature कर चुके है कॉन्ट्रैक्ट बेस पर लेकिन इसमें लाभ दोनों को हुआ - लेबर को फायदा हुआ की विच मे कोई नहीं है | कंपनी को फायदा हुआ की लेबर मनमानी नहीं किया | इसमें एक और बात है की आपको जो पेमेंट देना है वह बराबर - बराबर देना है | जो आपका परमानेंट लेबर है उसको भी उतना ही सैलरी और जो कॉन्ट्रैक्ट बेस पर रखे है अस्थाई उनको भी उतनी ही वेतन उतनी ही सुविधाए देनी होगी इसे दोनों का फायदा हुआ same for all जितने रूल्स थे इसका कहने का सेन्स है परमानेंट लेबर है उनके लिए और जो कॉन्ट्रैक्ट लेबर है उनके लिए वही प्रावधान रखने थे |

किसी कंपनी में मजदूरों को नौकरी से निकालने का कानून क्या है? : What is the law for firing labor in a company. 

लेबर को हटाने से पहले सरकार को सूचना देना होता है , की लेबर को हटाने की जरुरत पड़ गयी है | इसलिए मजदुर को हटा रहे है | ये नियम उस पर लागु होता है - जिस कम्पनी मे 100 से ज्यादे कर्मचारी काम करते है , ये नियम उन पर लगते है न की 100 से कम कर्मचारियों वाले फैक्ट्री पर जिस फैक्ट्री मे 100 से काम कर्मचारी काम करते है उन फैक्टरी पर ये कानून नहीं लग सकता है | जिस कम्पनी मे 100 से अधिक वर्कर काम करते है वह कंपनी बड़ी लेवल पर चली जाती है , जिसे सरकार को काफी विनेफिट मिलने लगता है | जैसे - कंपनी से इनकम टैक्स काफी कलेक्ट होने लगता है कंपनी मे लेबर श्रमिक की संख्या बढ़ जाती है | जिसे वेरोजगारी दूर होने लगता है | अत्याधिक मात्रा मे प्रोडक्ट उत्पाद होने से मंहगाई भी काम हो जाती है | यही कारण है की वड़ी कम्पनी पर सरकार विशेष्य ध्यायन देती है |  जब कंपनी घाटे मे जाने लगती है तो लेबर को हटाने के लिए सरकार को सूचना इसलिए देती है की , इसका हल निकल सके और ये लेबर को सरकार अपनी हिसाब से उसे कहीं दूसरे जगह पर सिप्ट कर सके जिसे लेबर की वेरोजगारी कम हो सके |




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