छींकने , सरकने या हिचकी आने का मेन कारन है ,किसी भी जिव - जन्तु के स्वाशन नली में पदार्थ का कुछ अंश प्रवेश करना होता है | तव उसे बाहर निकालने के लिए उसे छींकना पड़ता है | ताकि जो पदार्थ स्वशन नलिका में प्रेवश कर चूका है,वह पदार्थ किसी तरह स्वाशन नलिका से बाहर निकल सके |
जब तक वह पदार्थ airpipe से बाहर निकल न जाय तक तक उसे हिचकी आता ही रहता है | जबतक की फेफड़ा संतुष्ट न हो जाय की स्वाशन नलिका से खाने का पदार्थ का अंश पूर्णयतः बाहर निकल नहीं जाता है | तब तक उसे हिचकी आता ही रहता है |
इससे यह पता चलता है की इपीग्लॉटिक्स अगर अपने कार्य में कन्फ्यूज हो गया हो जब इपीग्लॉटिक्स खाना खाने के समय अपने कार्य में अगर कन्फ्यूज होता है , तब हिचकी जरूर आ जाता है | क्योंकि इपीग्लॉटिक्स को ब्रेन कंट्रोल करता है | इसके आलावा ब्रेन को और कई सारे कार्य एक साथ करना होता है | जो इस प्रकार है | ब्रेन को ही पेट को कंट्रोल करना होता है की हाइड्रोक्लोसिड कितना है और इपीग्लॉटिक्स किस डायरेक्शन में काम कर रहा है | वह दायी तरफ है या वायी तरफ ब्रेनइनपेप्सिन और स्वाशन क्रिया को यानि एक साथ ब्रेन को कई सारे कार्य करना होता है |
ठीक उसी बिच अगर कोई व्यक्ति खाना खा रहा होता है तब वह अपनी ध्ययान इधर - उधर भटका देता है | तब उस समय इपीग्लॉटिक्स अपना कार्य की डायरेक्शन अगर भूल जाता है | तब वह कुछ छण के लिए वह अपना कार्य रोक देती है | जिसके कारण भोजन का कुछ अंश स्वसन नलिका में प्रवेश कर जाता है | जिसके कारन उसे छींक या सरकन आ जाता है |
Table of Content1. छींक और हिचकी आने का कारण क्या है |
2. बच्चे को ज्यादा लार क्यों बनते है |
2.1 Liquid पदार्थ खाने से ज्यादा हिचकी क्यों आती है |
2.2 सरकते समय माथा पर नहीं मारना चाहिए |
2.3 जुखाम पेट में जाने के नुक्शान
सरकने , छींकने और हिचकने का कारण क्या है और इससे कैसे बचे |
- सरकने , छींकने और हिचकने का मेन कारन है की अपनी - अपनी दिमाग पर अधिक जोर देना अर्थात एक साथ कई कार्यो में ध्यायन देना | अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उन्हें जरूर इसका सामना करना पड़ेगा क्योकि अधिक जोर देने से दिमाग कुछ छण के लिए हैंग हो जाता है | ठीक उसी बिच इपीग्लॉटिक्स अपना कार्य क्षेत्र भूल जाता है और वह कन्फ्यूज हो कर रुक जाती है की उसे किस डायरेक्शन में वर्क करना है | ठीक उसी बिच स्वाशन क्रिया चलते रहते है | जिसके कारन आदमी के मुँह में उपस्थित पदार्थ जैसे - लार , थूक , पानी , भोजन इत्यादि हो सकते है |
- वह पदार्थ स्वशन क्रिया के द्वारा फेफड़े में पहुंचने लगता है जिसको रोकने के लिए फेफड़े को ऊपर की ओर बल लगाना होता है | जिससे फेफड़े में ठोस एवं तरल पदार्थ को पहुंचने से रोका जा सके यही कारण है की मानव एवं जिव - जन्तु को सरकने एवं छींकने और हिचकने का सामना करना पड़ जाता है |
- चलिए अब समझते है की सरकने , छींकने और हिचकने से कैसे बच्चा जाय | इसके बारे में ब्रेन को एक साथ कई सारे काम को करना पड़ जाता है | जो इस प्रकार है ब्रेन को ही पेट को कंट्रोल करना होता है की हाइड्रोक्लोसिड कितना है, और इपीग्लॉटिक्स किस डायरेक्शन में काम कर रहा है | वह दायी तरफ है की वायी तरफ , ब्रेन इनपेप्सिन , और स्वसन क्रिया को कंट्रोल कर रहा होता है | यानि एक साथ ब्रेन को कई सारे कार्य करना होता है |
- इसलिए आदमी को जब भी कुछ खाना - पीना होता है तब वह उन्हें एकाग्रित होकर पूरी फोकस, खाना खाने - पिने पर होना चाहिए | जिसे इपीग्लॉटिक्स अपना कार्य से न भटके | क्योंकि सरकने , छींकने और हिचकने से बचने के लिए यही एक उपाय है | जिसे आदमी को खाना खाने समय सरकने का भय बना रहता है | उससे बचने के लिए उन्हें खाना खाते समय सिर्फ और सिर्फ खाना खाने पर ही ध्यायन देना चाहिए |
छोटे बच्चे को ज्यादा हिचकी क्यों आता है | बच्चे को ज्यादा लार क्यों बनते है | इसका कारण क्या है ?
- मानव जाती में ऐसा देखा गया है की छोटे बच्चे को अक्सर हिचकी आते रहते है और वह हमेशा सरकता भी रहता है | क्योंकि उन्हें हिचकी आने का मेन कारन है की वह बहुत छोटे होने की बजह से उनकी शरीर की सभी नसे बहुत पतली - पतली होती है और चिकनी भी होता है इसीलिए खास कर उनकी शरीर के मेन भाग हेड का सभी नसे पतली और चिकना होने की बजह से उनका मुँह में उपस्थित पदार्थ का कुछ अंश फेफड़े वाली नली में प्रवेश करने लगता है इसलिए बच्चे को अक्सर हिचकी और छींक आते रहते है , और वह ज्यादातर लिक्विड पदार्थ ही खाते रहते है | इसीलिए बच्चे में ज्यादातर हिचकी और सरकने की समश्या देखने को मिलता है |
- क्योंकि जब वह किसी भी प्रकार के Liquid पदार्थ खाता है तो उसके मुँह में हमेशा लार बना रहता है , और वह वैसा ही इधर - उधर अपना ध्ययान भटकाते रहते है | ठीक उसी बिच इपीग्लॉटिक्स अगर अपना कार्य से कन्फ्यूज हो गया हो | तब उसके मुँह में बना लार उसके स्वशन नलिका में प्रवेश करने लग जाता है | तब उसे हिचकी या फिर सरकन हो जाता है |
- जब बच्चे बहुत छोटे होते है अर्थात शिशु को अक्सर ऐसा देखा जाता है की उन्हें हमेशा हिचकी और छींक आते रहते है | इसका मेन कारन है की वह अपने माँ के दूध पर ही निर्भर होते है | इसलिए दूध लिक्विड पदार्थ होने की बजह से उसके मुँह में लार बना रहता है |
- जब कोई व्यक्ति उससे कुछ वात करना चाहता है तब उस बच्चा का ध्ययान इधर - उधर भटक जाता है | जिसके बजह से उसे छींक या सरकन आ जाता है | क्योकि उसके मुँह में बना हुआ लार स्वशन नलिका में प्रवेश करने लग जाता है | और उसे बाहर निकालने के लिए उसे सरकने अथवा हिचकी आने लग जाती है |
Liquid पदार्थ खाने से ज्यादा हिचकी क्यों आता है |
- Liquid पदार्थ खाने से मुँह में ज्यादा मात्रा में लार बनता है और वही लार और उस लिक्विड पदार्थ का कुछ अंश दोनों आपस में मिल जाते है | और वह आहार नलिका के द्वारा भोजन के रूप में हमलोग उसे भी निगल जाते है | ठीक उसी समय उस पदार्थ का कुछ भाग स्वशन नलिका में प्रवेश कर जाता है | जिसकी वजह से हमें हिचकी और सरकन आने लग जाती है | जिसे यह पता चलता है की लिक्विड पदार्थ खाने से ज्यादा हिचकी आती है |
- अक्सर ऐसा देखा गया है की लिक्विड पदार्थ का सेवन ज्यादातर छोटे बच्चे ही करते है | इसलिए उनमे हिचकी ज्यादा आने की शिकायत देखने को मिलती है | जैसे - चॉकलेट खाना , दूध पीना , जूस पीना , इमली , नीबू , कच्चा आम इत्यादि ये सभी पदार्थ ज्यादातर छोटे बच्चे ही खाते है | और यह पदार्थ ज्यादा मात्रा में लार बनाता है इसकी बजह से उसे ज्यादा हिचकी आता है |
सरकते समय माथा पर नहीं मारना चाहिए
- जब कोई व्यक्ति खाना खाते समय अगर सरक जाता है, तब उन्हें अपने शरीर में कुछ अजीब से हरकत होते हुए महसूस होने लगता है | उसे लगता है की अब मैं बच नहीं पाऊँगा | इसलिए वह बहुत घबरा जाता है |
- ऐसा कोई बात नहीं है , क्योंकि सरकने का समयस्या हर किसी को देखने को मिलता है | इसलिए किसी भी व्यक्ति को इससे घवराने की कोई जरुरत नहीं है |
- अगर किसी के साथ सरकने की समयस्या आ जाती है | तब उन्हें आराम से बैठ जाना चाहिए , और उसे किसी भी प्रकार का टेंशन नहीं लेना चाहिए | थोड़ी देर बाद उसे हल्का - हल्का आराम मिलने लग जाएगा | ऐसे समयस्या में उनके माथा पर नवरतन ठंडे तेल या हिमगंगे तेल लगाकर आहिस्ता - आहिस्ता सहलाना चाहिए | जिसे उसे उसके ब्रेन का तुरंत आराम मिले और वह जल्द से जल्द ठीक हो सके |
अगर किसी कारण से सर्दी - जुखाम शरीर के अन्दर की ओर सरक जाय तो क्या होगा |
- जब किसी व्यक्ति को सर्दी - जुखाम होता है, तव उन्हें हमेशा उस जुखाम को बाहर की ओर फेकना चाहिए | अपने नाक के द्वारा न की मुँह के द्वारा, जो व्यक्ति उसे मुँह के द्वारा फेकता है तो वह बहुत गलत तरीके से उसे फेक रहा है | ऐेसा करने से उन्हें रोके , नहीं तो कभी उनके लिए बहुत बड़ी समयस्या का सामना करना पड़ सकता है | क्योंकि हम खुद इसकी अनुभव कर चुके है |
- जब कोई व्यक्ति अपने जुखाम को अपने गले द्वारा ऊपर की ओर खींचता है और वह उसे मुँह से फेकता है | तब कई वार ऐसा हो जाता है की वह जुखाम मुँह के द्वारा न फेक करके वल्कि उसकी पेट में चल जाता है | जिसे उसकी शरीर की अंदरूनी पार्ट्स पर जुखाम से झटका लग जाता है | जिससे उन्हें बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ जाता है | और उन्हें तुरंत डॉ० से इलाइज करवाना पड़ जाता है |
- कई वार ऐेसा देखा गया है की किसी व्यक्ति को एलर्जी होने लगता है | अर्थात पीती उच्छल जाता है | इसके होने का कारण भी जुखाम ही होता है | कई वार जुखाम के कारन ऐसा होते हुए देखा गया है | क्योंकि जब व्यक्ति अपने जुखाम को अंदर की ओर सरक जाता है तव वह जुखाम उसकी शरीर के अंदर कहीं पर चिपक जाती है जिसके चलते उन्हें एलर्जी होने लगता है |
- जुखाम होने से एक और गम्भीर बीमारी हो जाती है, जो इस प्रकार है | जब कोई व्यक्ति अपने जुखाम को अपने नाको के द्वारा उसे बाहर फेकता है तव उन्हें अधिक जोर लगाकर नहीं फेकना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर उसके जुखाम का कुछ अंश उनके कान वाले छिद्र में जम जाती है | जिसे उसे गले में एवं कान में दर्द होने लगता है | और वह उसे ठीक करने के लिए डॉ० के पास जाना होता है |
Conclusion : निष्कर्ष
- इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने से यह निष्कर्ष निकलता है की जब कोई व्यक्ति छींकते है , सरकते है या फिर हिचकते है | तब उस समय हमारे शरीर के स्वशन नलिका में , मुँह में उपस्थित पदार्थ का कुछ अंश स्वसन नलिका में प्रेवश करने लगता है | इसलिए उस पदार्थ को बाहर निकालने के लिए मनुष्य को छींक अथवा हिचकी आने लगती है | खाना खाने समय अगर किसी व्यक्ति सरक जाता है तब उस समय उनका इपीग्लॉटिक्स अगर काम नहीं किया होता है | जिसकी वजह से वह सरक जाता है |
- मानव जाती में अक्सर ऐसा देखा गया है की छोटे बच्चे को अक्सर हिचकी आते रहते है | इसका में कारण है की बच्चे ज्यादातर Liquid पदार्थ ज्यादा खाते है | इसकी वजह से उन्हें हिचकी अथवा सरकन ज्यादा आता है |
- सरकते समय उन्हें माथा पर नहीं मारना चाहिए, बल्कि उनकी माथा पर ठंडा तेल लगाकर आहिस्ता - आहिस्ता सहलाना चाहिए | जिसे उन्हें तुरंत आराम मिले | अगर किसी व्यक्ति को सर्दी - जुखाम के कारण उसे किसी भी प्रकार का बीमारी जैसा अनुभव हो तो उसे तुरंत डॉ० से सलाह लेना चाहिए | जिससे वह उस बीमारी को तुरन्त नियंत्रण किया जा सके |