तेल - मशाला , ज्यादा मात्रा में खाने से जॉन्डिस बीमारी होने की संभावनाए बढ़ जाती है | इस पोस्ट में यह वताया गया है की जॉन्डिस बीमारी क्या होती है इसके वारे में और इसका लक्षण क्या है और इसका घरेलु उपचार क्या है | इसके वारे में पूरी जानकारी दी गई है |
जॉन्डिस एक ऐसी बीमारी है जो हर व्यक्ति को कुछ न कुछ रहती है जिस व्यक्ति में जॉन्डिस का लक्षण परत्यक्ष रूप से दिखने लगती है | तव उसे पील्या रोग हो जाती है | ऐसा इसलिए हम कह रहे है की लिवर कुछ न कुछ बिलरुबिन हमेशा वनाते रहते है | और यही वजह है की हमारा पेट में मौजूद अपशिष्ठ पदार्थ का रंग पीला होता है | अर्थात लैटरिंग पीला रंग का होता है |
इसके अलावा हमारी पेशाव का भी रंग पीला देखने को मिलता है | जो यूरोक्रोम के कारण होता है | अर्थात पेशाव का रंग पीला होने के कारण यूरोक्रोम होता है |
पील्या रोग का लक्षण का पहचान सबसे पहले पेशाव के जरिये ही किया जाता है | जिस व्यक्ति का पेशाव पीला होना शुरू हो जाता है | तव उसे जॉन्डिस बीमारी का लक्षण समझ में आ जाता है |
अब जानते है इसका उपचार क्या है , इसके वारे में जब पील्या रोग का लक्षण दिखाई देने लगे तव सबसे पहले अपने खान - पान पर ध्यायन देना चाहिए | की आप भोजन में क्या - क्या पदार्थ खा रहे है और वह किस चीज से बनी है | अगर वह पदार्थ तेल -मशाला से बनती है तो उसे कुछ दिनों के लिए खाना छोड़ देनी चाहिए ताकि आपकी लिवर को आराम मिल सके और वह बिलरुबिन बनाना कम कर सके | जब आपकी शरीर में आपका लिवर जब बिलरुबिन बनाना कम कर देती है तब वह बीमारी धीरे - धीरे ठीक हो जाएगी | ऎसा करने के लिए रोगी को ठंडे पदार्थ का सेवन करना चाहिए जैसे - खीरा , गने का जूस इत्यादि |
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Jaundice bimari kya hota hai जाने पील्या रोग के लक्षण और घरेलु उपचार के वारे में |
- जब कोई व्यक्ति तेल मशाला ज्यादा मात्रा में खाने लगता है | तब उसे जॉन्डिस बीमारी होने की संभावनाए बढ़ जाती है | इस पोस्ट में यह वताया गया है की पील्या रोग कैसे होती है | इसके वारे में और इसका उपचार व् लक्षण क्या है इसके वारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है |
- कभी - कभी हमारा लिवर अपना संतुलन खो बैठता है , जिसके वजह से लिवर कभी ज्यादा बिलरुबिन बनाने लगता है ,तो कभी - कभी इसके चलते हमारे शरीर में अजीव - अजीव से लक्षण दिखाई देने लगते है | कभी - कभी हमारा पाचन क्रिया भी खराव हो जाता है , तो कभी - कभी उल्टी - मिचली आने लगती है | तो कभी पेशाव पीला होने लगता है |
- इस बीमारी उत्पन होने से शरीर में इसकी लक्षण साफ दिखाई देने लगता है | जो इस प्रकार है | सबसे पहले शरीर के सफेद भाग पीला होने लगता है , जो प्रत्यक्ष रूप से पता चल जाता है | वह सफेद भाग आँख के Sclera होती है | जो सबसे पहले पीला होती है | इसके आलावा शरीर के सभी भाग पीला होने लगती है |
- जितने भी तंत्रिका तंत्र रक्त से जुड़ी होती है | उन सभी तंत्रिका में बिलरुबिन जाने लगता है , जिसकी वजह से हमारा शरीर के त्वाचा एवं नाख़ून का रंग पीला होने लगता है | जो प्रत्यक्ष रूप से पता चल जाता है की Jaundice बीमारी हो चूका है | इस बीमारी के उपचार के लिए डॉ ० से सलाह अवश्य लें |
- जॉन्डिस बीमारी के लक्षण दिखते ही अगर समय पर इसका इलाइज नहीं हुआ तो लिवर और ज्यादा मात्रा में बिलरुबिन बनाने लगता है | जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्छा से नहीं होगा | तव उस व्यक्ति को ऊर्जा नहीं मिल पायेगी | जब उसे ऊर्जा नहीं मिलेगा तब उसका शरीर गिरा - गिरा सा रहेगा | ऎसे अगर लम्बा समय तक चला तो उसका लिवर भी खराब हो जाएगी | जिसकी वजह से उसकी शरीर का सभी अंग धीरे - धीरे काम करना बंद कर देगी और अंत में उसे मौत हो जाएगी | इसीलिए हम कह सकते है की यह बीमारी जानलेवा होती है | अगर समय पर इसका इलाइज नहीं हुआ तो अक्सर ऐसा देखा जाता है की समय पर इलाइज होने पर यह बीमारी ठीक हो जाती है | घवराने की कोई वात नहीं है | इस बीमारी के घरेलु उपचार के लिए भी इस आर्टिकल में वताया गया है जो इस प्रकार है |
- अब जानते है जॉन्डिस बीमारी के घरेलु उपचार के वारे में जो इस प्रकार है | जिस व्यक्ति को अगर पील्या बीमारी बार - बार हो जाती है तो उस बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए इसका सबसे अच्छा उपाय है गन्ने के रास में गेंहूँ के दाना के बरावर चुना मिलाकर पीजिए | पील्या जल्दी ठीक हो जाएगी , हमेशा - हमेशा के लिए |
- इसके आलावा ठंडे पदार्थ का सेवन ज्यादा करे | जैसे - खीरा , मूली का सलाद खाये , मूली के पते का साग बनाकर खाये , रिट ग्रास , एलोवेरा का जूस पिये , अरेंडी के पतों का रस पिये , सोनाथ के छाल का रस पिए यह पील्या बीमारी के लिए रामबाण है |
Jaundice बीमारी का घरेलु उपचार
- जिस व्यक्ति को अगर पील्या रोग होता है | तो उसे ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है, बस इस आर्टिकल में बताये गए सभी नियमों का पालन करें | उस व्यक्ति का ईलाइज घर पर ही बहुत आसानी से हो जाएगा |
- जब उसे पील्या रोग का लक्षण दिखाई दे तो उसे तुरंत , उसके उपचार के बारे में सोचना चाहिए , की वह ठीक कैसे होगा | इसके वारे में
- सबसे पहले यह ध्यायन दे की वह रोग किस प्रकार के खान - पान से हुआ है | सबसे पहले अपने खान - पान पर ध्यायन दे |
- अक्सर ऎसा देखा जाता है की पील्या रोग ज्यादा मात्रा में तेल - मशाला खाने से होता है | तो सबसे पहले उन्हें तेल - मशाला खाना कम कर देनी चाहिए ऐसा करने से आपकी लिवर को आराम मिलेगी और यह पाचन क्रिया अच्छी से कर पायेगी |
- लिवर को कम से कम 15 दिन तक आराम देनी चाहिए वह 15 दिनों के अंदर फिर से रिकभर हो जाएगी और वह फिर ठीक से काम करना शुरू कर देगी | इस प्रकार पील्या रोग को ठीक किया जाता है |
- इसके घरेलु उपचार में इसके खान -पान पर विशेष ध्यायन दिया जाता है | जिस व्यक्ति को Jaundice Bimari Hai उन्हें गने का जूस पीना चाहिए , इसके अलावा ठन्डे पदार्थ का सेवन ज्यादा करे | जैसे - खीरा , मूली का सब्जी , मूली के पते का साग बनाकर खाये | रिट ग्रास , एलोवेरा का जूस पिए , अरेंडी के पतों का रस 2 या 3 चमच पिए , सोनाथ के छाल का रस पिए , यह पील्या के लिए रामबाण है | ये सभी पदार्थ जॉन्डिस बीमारी का घरेलु उपचार में काम आता है | इसके आलावा आप डॉ ० से सलाह अवश्य लें |
लैट्रिन का रंग पीला क्यों होता है और स्वस्थ व्यक्ति का मल कैसा होना चाहिए |
- लैट्रिंग का रंग पीला होने का मेन कारन है बिलरुबिन यह एक ऐसा Recycle क्रिया है | जो हर व्यक्ति के लिवर में होती रहती है | और इसका रंग पीला होने का कारन लिवर से छोटी आंत से होकर बड़ी आंत में पहुँच जाती है | अर्थात यह बिलरुबिन हमारे शरीर में उपस्थित भोजन में जाकर मिल जाती है | जिसकी वजह से हमारे द्वारा खाया गया भोजन का रंग बिलरुबिन के रंग के हो जाते है | अर्थात पीला हो जाता है | जिसकी वजह से हमारा लैट्रिंग का रंग पीला हो जाता है |
पील्या रोग के कारण लिवर क्यों खराव हो जाता है बताइए
- लिवर खराव होने का में कारन ज्यादातर पील्या रोग ही होता है | क्योंकि पील्या रोग का प्रारंभ लिवर से ही होता है | यह बीमारी लिवर से शुरुआत होने का मेन कारण यह है की लिवर में जब लाल रक्त कोशिकाए टूट जाती है | तब बिलरुबिन उसमे प्रवेश करने लगता है | जिसकी वजह से लिवर छतिग्रस्त होने लगता है | क्योंकि जिस मार्ग से बिलरुबिन रक्त में मिल रहा है , उसी मार्ग में टुटा हुआ लाल रक्त कोशिकाए धीरे - धीरे जख्म का रूप लेने लगती है और वह रक्त बनाना काम कर देती है | जिसकी वजह से उसकी शरीर में कमजोरी आने लगती है |
- जब उसे Weekness होना शुरू हो जाता है, तो उसके शरीर का सभी अंग धीरे - धीरे काम करना कम करने लगती हैं | जिसकी बजह से उसके शरीर का लिवर सबसे पहले खराव होती है | इसीलिए हम कह सकते है , की पील्या रोग के कारण लिवर खराब होती है |
पीलिया रोग में आँख का रंग पीला क्यों हो जाता है ! किस रोग में शरीर का रंग पीला हो जाता है
- पील्या एक ऎसी बीमारी है , जिसके कारण हमारे शरीर के सभी भाग धीरे - धीरे पील्या होने लगता है | ऐसे में हमारा शरीर का एक महत्वपूर्ण भाग आँख होती है | जो पील्या बीमारी के कारण उसका एक भाग Sclera होती है | जो सफेद रंग का होता है | वह सबसे पहले पीला होने लगता है | जिससे यह पता चल जाता है की पील्या बीमारी हो चूँका है |
- आँख की Sclera भाग पर चिप - चीपा द्रव हमेशा रहती है | और इस भाग के तंत्रिका तंत्र बहुत नाजुक होती है | अगर किसी कारन से आँख में किसी भी प्रकार का कोई डिस्टोरजान होती है, तो आँख की वह भाग जो Sclera होती है ,उसमें खून की मात्रा साफ - साफ दिखाई देने लगता है | और यही बजह है की जॉन्डिस रोग होने पर सबसे पहले आँख का रंग पीला होने लगता है |
- क्योकि उस जगह पर खून की मात्रा आने से आँख की सफेद भाग पर पील्या रोग का लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है | क्योकि पील्या रोग खून में ही मिली रहती है | यह लिवर में उत्पन्न होती है , और खून के द्धारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने लगती है | और यही वजह है की शरीर में जहाँ - जहाँ पर खून जाता है | वहाँ -वहाँ पील्या रोग के कारन शरीर का भाग पीला होने लगता है |