जितने भी जिव - जन्तु एवं वन प्राणी है सभी के सभी को अपने जीवन पर आने वाली संकट से Dar वना रहता है | Dar ma rehta prani कैसे इसके वारे में आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे | जिसे यह शाबित हो जाये की जितने भी जिव -जन्तु है उन सभी के सभी को अपने प्राण की चिंता होती है | क्योकि सभी जिव एक दूसरे जीवों पर आश्रित होती है | प्रत्येक जिव एक दूसरे जिव को अपने भोजन के रूप में खाना चाहते है अर्थात प्रत्येक जिव एक दूसरे जिव की आहार होती है | Dar ma rehta prani meaning इसका नाम से ही यह पता चलता है की इसका meaning मतलब इसका अर्थ है Dar me rehne wala prani अर्थात सभी जिव को एक दूसरे जिव से डर बना रहता है | क्योंकि सभी जिव जन्तु प्राणी एक दूसरे प्राणी पर निर्भर होते है | जितने भी जिव प्राणी है सभी के सभी किसी न किसी रूप में एक दूसरे जिव की हत्या करके अपना भोजन कर पाते है | चाहे मनुष्य हो या जानवर
1. जानवर अपना भोजन किसी दूसरे जिव की हत्या प्रतक्ष्य रूप से करके करते है | जिसे उस जानवर को नरभक्षी भी कहा जा सकता है अर्थात जो जानवर मनुष्य की हत्या करके अपना भोजन करता है | उस जिव की नरभक्षी कहा जाता है | इसीप्रकार कई ऐसे जानवर है जो मनुष्य को मारकर खाना चाहता है | इसलिए मनुष्य प्राणी में भी एक डर होती है जिसे उसका जीवन सुरक्षित रह सके |
2. मनुष्य अपना भोजन की प्राप्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है | चाहे उसे किसी आदमी की हत्या ही क्यों न करना पड़े | वह व्यक्ति किसी न किसी रूप में किसी न किसी जिव की हत्या करके ही अपना भोजन प्राप्त करता है | चाहे वह व्यक्ति साधु संत हो या किसान , डॉ ० हो या वकील किसी भी प्रकार के पेशेवर व्यक्ति हो सभी के सभी अपना भोजन किसी दूसरे जिव की हत्या करके ही प्राप्त करता है | जैसे :- वकील - पैसा कमाने के चककर में वह व्यक्ति निर्दोष व्यक्ति को भी फांसी के फंदे पर लटकवा देता है | जिसे उस इंसान व्यक्ति की मौत हो जाती है | और इसके बदले में उस वकील को यह मुँह माँगा पैसा मिलता है | जिसे वह वकील अपना जीवन यापन अच्छे से विता सके | ठीक उसी प्रकार प्रकार डॉ ०, किसान , साधु - संत माहात्म्य सभी के सभी अपना भोहजन प्राप्ति के लिए किसी न किसी रूप में किसी भी प्रकार की जिव की हत्या जरूर करती है | जिसे उसे अपने दैनिक आहार की पूर्ति के लिए हो सके | इसलिए हम गर्व से कह सकते है | की सभी जिव जंतु एवं वन प्राणी Dar ma rehta praning in hindi .
जितने भी जिव - जन्तु एवं वन प्राणी है सभी के सभी को एक दूसरे Prani से Dar ma rehta है |
- इस संसार में जितने भी जिव - जन्तु एवं वन प्राणी है सभी के सभी एक दूसरे जिव पर आश्रित होती है | भोजन के रूप में खाने के लिए | चाहे वह जिव पानी में रहता है या फिर धरती पर , या फिर मिट्टी में सभी के सभी जिव अपना भोजन एक दूसरे जिव की नुकशान पहुँचाकर ही अपना पेट भरता है | जिसे वह जिव - जन्तु लम्बे समय तक जीवित रह सके |
- चलिए अब समझते है कैसे किसान भी जिव - जन्तु पर आश्रित होती है इसके वारे में , जो किसान यदि कहता है की मैं किसी भी प्रकार के जिव की हत्या नहीं करता हूँ | या फिर कहे की हमारे द्वारा किसी भी जिव की हत्या नहीं होती है | तो उनके ये कहना गलत है |
- क्योकि किसान का कार्य है फसल उपजाना | उन्हें इस कार्य में बहुत सारे संख्या में छोटे - छोटे किट - पतंगे एवं जिव - जन्तु की हत्या हो जाती है | जो इस प्रकार है | जब वह व्यक्ति अपने खेतों में कार्य करने जाते है तो उन्हें उस खेत में बहुत सारे छोटे - छोटे जिव - जन्तु मिलते है | जो उसी खेत में रहते है |
- फसल उगाने के लिए उस खेत में जो भी कार्य होती है | उस कार्य होने के कारन बहुत सारे जिव की हत्या हो जाती है | जैसे - चूहा , किट - पतंगे , सर्प इत्यादि इसीलिए हम कह सकते है की किसान से भी Dar ma rehta prani है | जिसे कई सारे जिव की भी अपने प्राण बचाने की चिंता होती है |
- अब वात करते है साधु - संत एवं तपस्वी के वारे में जिससे भी कई सारे जीवो को अपनी प्राण बचाने की चिंता होती है अर्थात उनसे भी कई सारे जीवो की Dar ma rehta prani ( डर में रहता जिव ) की चिंता होती है | जिसे उनका जीवन साधु - संत एवं तपस्वी से वच सके | ऐसे में कई सारे वावा ये कहते है , की हमारे द्वारा किसी भी जिव की नुक्शान एवं हत्या नहीं होती है | तो ऐसे में उनको ये कहना गलत होगा | क्योकि कोई भी साधु - संत एवं तपस्वी जो है वह अपनी आराध्य की भक्ति भूखा पेट रहकर नहीं करती है |
- उनको अपने आराध्य की भक्ति करने के लिए उन्हें जीवित रहना बहुत अनिवार्य है इसीलिए वह महात्मा अपनी भोजन की पूर्ति के लिए कोई भी कार्य करती है तो उनके द्वारा किसी न किसी रूप में कुछ न कुछ छोटे - छोटे जीवों की हत्या हो ही जाती है | जैसे - जब वह व्यक्ति अपने पैरो की मदद से चलता है तो कभी न कभी उनके पैरों के निचे किसी भी प्रकार की जिव आकर मर ही जाती है | जैसे - वह जिव खासकर चिट्टी होती है | इसीलिए हम कह सकते है की कोई भी व्यक्ति हो उसके द्वारा कोई न कोई जिव की हत्या हो ही जाती है | चाहे नार्मल आदमी हो या साधु - संत सब से किसी न किसी जिव की हत्या हो ही जाती है | इसीलिए जितने भी जिव - जन्तु एवं वन प्राणी है सभी के सभी को अपने प्राण बचाने की डर होती है |
आदमी को किस चीज से सबसे ज्यादा डर होती है ?
- ऐसे देखा जाय तो आदमी को हर कार्य एवं हर प्रकार के जिव जन्तु से दर होती है क्योकि वह व्यक्ति सबसे पहले अपने परिवार के वारे में सबसे ज्यादा चिंतित होती है | ऐसे में सबसे ज्यादा डर आदमी को किसी चीज़ से होती है | इसके वारे में अब हम जानेंगे जो इस प्रकार है | किसी भी व्यक्ति को सबसे ज्यादा Dar अपने प्राण की होती है | क्योकि अधिकांश व्यक्ति अपने जीवन यापन अपने परिवार के साथ व्यतीत करती है और परिवार के लिए करती है | इसीलिए उस व्यक्ति को अपने प्राण की चिंता सबसे ज्यादा होती है |
- क्योकि वह व्यक्ति यह भली भाती जनता है की अगर हमें कुच्छ हो जाता है , तो हमारा परिवार विखर जायेगा और उनको कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं मिल पायेगी | क्योकि उनका जीवन वसर बतर से बतर हो जाएगी , इसी वात की चिंता उन्हें सबसे ज्यादा होती है | अगर वह व्यक्ति अपनी दिनचरिये के लिए कोई भी कार्य करती है तो वह सबसे पहले अपने - आप को सुरक्षित करना चाहती है |
- चाहे वह कार्य Driver चालक हो या फिर कोई भी जोखिम भरा कार्य सबसे पहले वह अपने आप को सुरक्षित करती है | अब जानते है आदमी को किस - किस चीज से सबसे ज्यादा Dar होती है इसके वारे में |
- आदमी को सबसे ज्यादा डर आदमी से ही होता है क्योकि सभी आदमी अपने दिनचरिये को वेहतर से वेहतर करना चाहती है | इस processes में धन , रुपैया , पैसा की जरूरत पड़ती है | उसी आवश्यकता को पूर्ति करने के लिए सभी व्यक्ति किसी न किसी तरह से धन अर्जित करना चाहते है | धन अर्जित करने की कई प्रोसेस है | चाहे वह व्यक्ति अपना धन अर्जित चोरी करके करे या फिर बेईमानी करके , लूट - पाट करके करे या फिर मार - पिट करके करे | इस तरह से धन इकठ्ठा करने की processes में आदमी को अपने pran ( जीवन ) पर खतरा पड़ने का सबसे ज्यादा Dar ( डर ) होती है |
- अगर कोई व्यक्ति कहता है की हम अपनी धन ( money ) अपना मेहनत एवं ईमानदारी से करता हूँ तो मेरे ऊपर किसी भी प्रकार का डर नहीं होती है | हम अपना जीवन सुरक्षित महसूस कर रहे है , तो ऐसे में उन्हें ये कहना गलत होगा | क्योकि जिस व्यक्ति के पास धन होती है वह व्यक्ति सुरक्षित रह ही नहीं सकती है |
- क्योकि उन्हें सबसे ज्यादा चिंता अपने धन की सुरक्षा करने की होती है | अगर वह व्यक्ति अपना धन को सुरक्षित नहीं करता है तो वह धन उनके हाथ से निकल जाती है | अर्थात कोई व्यक्ति ने उसे चुरा लेगा | जिसे उस ईमानदार एवं मेहनती आदमी को नुकशान हो जाती है | ऐसे में उनको अपनी जान भी गवाना पड़ सकती है | इसीलिए हम कह सकते है की आदमी को सबसे ज्यादा डर आदमी से ही होती है |
- इसके अलावा आदमी को और भी कई सारे जिव - जन्तु एवं जानवर वन प्राणी एवं आपदा होती है | जिसे मनुष्य के जीवन को खतरा होने का डर बना रहता है | उस आपदा से निपटने के लिए मनुष्य को हर सम्भव प्रयास करते रहना चाहिए | जिसे उन पर आने वाली आपदा एवं संकट से टला जा सके |
- इस आपदा में सबसे ज्यादा प्रमुख्य है बीमारियां रोग - वलाय , मनुष्य को हमेशा तरह - तरह से रोग - वलाय का सामना करना पड़ता है | ऎसे में उनको कई वार जान भी जाने का डर बना रहता है | इसीलिए आदमी सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यायन देता है | जिव - जन्तु , कीड़े - मकोड़े , जानवर एवं वन प्राणी से भी आदमी को काफी Dar ma rehta है prani क्योंकि अगर जहरीला जानवर कहीं उन्हें काट न ले क्योकि जहरीला जानवर को काटने से आदमी की मौत भी हो जाती है | ये आपदा हमें अक्सर देखने को मिलता रहता है | गांव - घर में ऎसे में मनुष्य को बहुत सोच समझकर चलना चाहिए | जिसे उन पर ऎसे कोई संकट न आ जाये जिसे उनकी जीवन का खतरा न हो |
जंगल में आदमी को किस चीज से सबसे ज्यादा डर होती है |
- इंसान एक ऎसी प्राणी है जिसे छोटे - छोटे एवं बड़े - बड़े जीवों से डर होती है | जैसे - सर्प , बिच्छू या फिर शेर , हाथी , भालू , चिता ऎसी जंगली जानवरो से उन्हें Dar लगती है |
- सर्प या बिच्छू एक ऎसी जानवर है जो बहुत छोटी होती है | वह जिव जंगल के किसी भी भाग में आसानी से छुप कर रह सकता है | ऐसे में मनुष्य जब जंगल में घूमने जाती है तो उन्हें अक्सर सर्प एवं बिच्छू के काटने का Dar बना rehta है क्योकि वह व्यक्ति जंगल में जब घूमती है तो वह छोटी - छोटी झाड़ियों से होकर उन्हें गुजरना पड़ता है | उस व्यक्ति को यह भी पता rehta है की जो जिव हमें नुक्शान पहुँचा सकता है | वह जिव भी इसी झाड़ी के बीच हो सकती है | इसीलिए उन्हें सबसे ज्यादा Dar जंगल में सर्प एवं बिच्छू से ही लगती है |
- इसके अलावा उन्हें जंगल के बड़े - बड़े जानवरों से भी डर बना रहता है | क्योकि यह जानवर अपनी भोजन के लिए किसी भी प्रकार के जिव - जन्तु एवं वन प्राणी या मनुष्य को मारकर खा सकता है , जिसे उसका पेट भर सके | ऎसे जिव को नरभक्षी भी कहा जाता है |
- नरभक्षी जिव के अन्तर्गत आने वाली पशु होती है , जो इस प्रकार है - शेर , भालू , चिता , इत्यादि ये सभी जानवर नरभक्षी होते है | जो मनुष्य को मारकर खाना चाहता है |
- जंगल में जिस जानवर का आकार बड़ी होती है वह जिव भी छुपकर ही बैठता है , जिसे उसे अपनी शिकार करने में आसानी हो क्योकि अगर वह जानवर छुपकर नहीं बैठेगा तो उसकी शिकार उसको देखर भाग जाएगा | इसीलिए वह नरभक्षी जानवर भी छुपकर ही अपना शिकार करता है | ऐसे में जो व्यक्ति वन परिभ्र्रमण के लिए गया है तो उन्हें भी सतर्क रहने की जरुरत होगी |
- अगर वह व्यक्ति चौकना नहीं रहेगा तो उन्हें भी बड़े - बड़े जंगली जानवरों का शिकार होने का Dar रहेगा | क्योकि वह जानवर जैसे - शेर , चिता , भालू , मनुष्य को रपेटकर शिकार करता है और वह उन्हें मारकर खा जाता है |
समुंदर में आदमी को किस चीज से सबसे ज्यादा Dar ma rehta prani होती है |
- आदमी एक ऎसी prani है जिसे अपनी जीवन यापन करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है | ऐसे में उनके पास एक ऐसी चुनौती आती है जो उनके लिए बड़ी कठिन हो जाती है | लेकिन वह फिर भी चुनौती को सामना करने के लिए वह अपने मंजिल के तरफ चल ही पड़ते है | चाहे उनके लिए जो भी परिणाम निकलकर सामने आये |
- अब जानते है की वह कौन - सी ऎसी चुनौती है जिसे आदमी अपने जीवन यापन करने के लिए इतनी बड़ी चुनौती को सामना करती है | वह चुनौती होती है समुन्दर में यात्रा करना या फिर समुन्दर में जाकर मच्छली पकड़ना | ये कार्य इतना जोखिम भरा होता है की आदमी को अपनी जान की प्रवाह किये बिना ही वह समुन्दर में प्रवेश कर लेता है |
- क्योकि वह व्यक्ति ऐसा नहीं करेंगे तो उनका घर में भोजन नहीं बन पायेगा इसीलिए वह व्यक्ति इस कार्य को करती है | मच्छली पकड़ने के लिए मछुआरा समुन्दर में जाती है | वहाँ पर उस व्यक्ति को सबसे ज्यादा Dar समुन्दर में आने वाली सुनामी एवं चक्रवात से होती है | क्योकि जब मछुआरा इस घटना का शिकार होती है तो उन्हें बचना मुश्किल हो जाती है | इसलिए उन्हें समुन्दर में सबसे ज्यादा डर चक्रवात एवं सुनामी से ही होता है |
- इसके अलावा और भी कई ऐसे घटना हो सकती है जिससे इन मछुआरों की जान जा सकती है | जैसे - नाव को डूबना , बड़ी मच्छली का शिकार होना जैसे शार्क , रास्ता भटक जाना इत्यादि | इसके अलावा समुंद्री यात्रियों को भी समुन्दर में डर वना रहता है | उन्हें सबसे ज्यादा डर इस बात की होती है की कहीं जहाज डूब न जाये | अगर जहाज समुन्दर में अपना रास्ता भटकजाता है तो ही उन्हें डूबने का Dar rehta है | इसीलिए हम कह सकते है की समुन्दर में भी Dar ma rehta prani है | चाहे आदमी हो या फिर समुंद्री जिव