घड़े का पानी ठंडा (cool) होने का मेंन कारण है कि घड़े में छोटे-छोटे कैपेलरी केशिक तत्व अर्थात छोटे-छोटे (छिद्र) होती हैं । जिसके कारण घड़े में उपस्थित जल धीरे-धीरे , रिस-रिस कर बाहर आते रहते हैं । जिस प्रकार हमारे शरीर से पसीना (घाम) बाहर आते हैं गर्मी के दिनों में , क्योंकि हमारे शरीर के त्वचा कोशिकाओं में छोटे-छोटे छिद्र होती हैं । जिसके कारण हमारे शरीर (Body) से गर्मी के दिनों में पसीना बाहर निकलते रहते हैं गर्मी के कारण ।
Table of Contents 1. गर्मी के दिनों में घड़े का पानी ठंडा क्यों होता है?
1.1 सतु पानी बेचने वाला घड़े पर लाल कपड़ा क्यों बांधते है?
1.2 गर्मी के दिनों में बोतल (Bottle) का पानी ठंडा कैसे करे?
1.1.1 सब्जी बेचने वाला सब्जी पर पानी का छिड़काव क्यों करते है?
1.1.2 गर्मी के दिनों में छत (Roof) को जल्दी ठंडा कैसे करे?
1.1.3 Conclusion : निष्कर्ष
1.3 FAQs.
क्योंकि गर्मी पढ़ने से हमारे शरीर की कोशिकाएं फैलने लगती हैं , और यही बजह है की कोशिकाएं फैलने के कारण त्वचा कोशिकाएं में जो छिद्र होती हैं उसका भी आकार बढ़ जाती है । जिसके कारण पसीना (घाम) तेजी से बाहर निकलने लगती है ।
ठीक उसी प्रकार गर्मी के दिनों में घड़े में रखा पानी धीरे-धीरे, रिस - रिस कर बाहर निकलते रहते हैं। और वह जल तेज गर्मी पढ़ने के कारण तीव्र गति से वाष्पित होना प्रारम्भ हो जाती है । जिसके कारण घड़े में रखा जल का वाष्पीकरण आसानी से होता रहता है । और उस जल से सारी ऊष्मा वायुमंडल में उड़ जाता है । जिसके कारण घड़े मे रखा जल बहुत ठंडा हो जाता है । और वह पानी पीने योग्य बन जाता है।
गर्मी के दिनों में घड़े का पानी ठंडा क्यों होता है ।
गर्मी के दिनों में घड़े में रखा पानी को ठंडा होने का में कारण यह है की घड़े मिट्टी का बर्तन होता है ,जो मिट्टी से बना होता है । मिट्टी को रसायनिक दृष्टि से घुलनशील तत्व भी कहा जाता है । जो पानी में आसानी से घुलनशील हो जाती है ।
जाहिर सी बात है की घुलनशील तत्व से अगर कोई भी ठोस वस्तु बनाई जाय तो उस वस्तु में छोटे-छोटे अर्थात कैपेलरी केशिक तत्व आसानी से बन जाती है। और यही बजह है कि जब उस वास्तु अर्थात मिट्टी के बर्तन में अगर पानी डाल दिया जाए तो वह बर्तन वह बर्तन आसानी से पानी में घुलनशील हो जाता है। इसीलिए मिट्टी से बने बर्तन को मजबूत एवं कठोर करने के लिए और अघुलनशील बनाने के लिए उस मिट्टी के बर्तन को शिल्पकारों (कुम्हार) ने आग में पकाकर उसे एकदम लाल कर देता है। जिसे वह अघुलनशील बन जाए ।
जब उस बर्तन अर्थात घड़े में पानी रखा जाता है, तब वह घड़ा पानी के कारण टूटता नहीं है। क्योंकि उसकी सभी भाग आग में पकने के करण अघुलनशील बन गया है, और उसमे छोटे-छोटे (छिद्र) कैपेलरी केशीक तत्व भी बन चुका है । इसीलिए उस घड़े से पानी हल्का-हल्का बाहर निकालते रहते हैं।
जब गर्मी के मौसम होती हैं, तब गर्मी के कारण जल का वाष्पीकरण तीव्र गति से होती है। जिसका परिणाम स्वरुप, घड़े में रखा पानी घड़े के छोटे-छोटे (छिद्र) कैपिलरी से धीरे-धीरे पानी बाहर निकलते रहते हैं, और वह वाष्प बनकर वायुमंडल में उड़ते रहते हैं। जिसके कारण उस घड़े में रखा पानी से सारी ऊष्मा वाष्प बनकर उड़ जाती है, और उसमे जो जल होती है । वह ठंडा हो जाती है। यही कारण है कि गर्मी के दिनों में घड़े में रखा जल ठंडा होती है।
सत्तू पानी बेचने वाला घड़े पर लाल कपड़ा क्यों बांधते है ।
सत्तू पानी बेचने वाला सभी के सभी अपने मटके के ऊपर लाल कपड़ा ही बांधते हैं। क्योंकि उनका कहना है कि लाल वस्त्र के टुकड़े से मटके को बांधकर इस मटके पर हल्का-हल्का पानी का छिड़काव कर देने से मटके के अंदर जो जल होती है। वह बहुत जल्दी ठंडा हो जाता है।
इसीलिए सत्तू पानी बेचने वाला अक्सर सभी के सभी लाल कपड़े से ही घड़े को बांधने के कार्य में उपयोग में लाते हैं।
आइए अब समझते हैं कि लाल कपड़े से ही क्यों बांधते हैं, इसके अलावा और दूसरा कलर के कपड़ा से क्यों नहीं बांधते हैं। इसके बारे में
क्योंकि लाल रंग का तरंग धैर्य सबसे अधिक होती हैं। जिसके कारण से उस सत्तू बेचने वालों का प्रचार बहुत आसानी से हो जाती है। क्योंकि लाल रंग के कपड़े से बंधा हुआ मटका बहुत दूर से साफ-साफ दिखाई देता है। जिसके कारण उस सत्तू बेचने वालों के पास ग्राहक दूर-दूर से अपनी ओर आकर्षित होते चले आते है।
क्योंकि जो व्यक्ति सत्तू पानी पीना चाहेंगे, तो वह उनकी मटके को ही देखकर उनके पास आ जाएंगे। जिसे उनकी Advertisement बहुत आसानी से हो जाता है। इसके अलावा लाल कपड़ा से मटके को बांधने का एक और फायदा होती है जो इस प्रकार हैं
लाल कपड़ा से मटके को बांधने का एक और फायदा है जो इस प्रकार हैं। लाल रंग का तरंग धैर्य सबसे अधिक होने के कारण वह मटका सूर्य से अधिक से अधिक तापमान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। जिसके कारण उस मटके का पानी का वाष्पीकरण तीव्र गति से होता है और उसे मटके का पानी जल्दी-जल्दी ठंडा होने लगता है।
इसके अलावा कपड़े बांधने से एक और फायदा होता है कि उस लपेटे हुए कपड़े को पानी से भींगा देते हैं। क्योंकि लपेटे हुए कपड़े में पानी बहुत आसानी से मिल जाती है और वह कपड़ा में लपेटा हुआ पानी का भी तीव्र गति से वाष्पीकरण होने लगता है । जिसके कारण घड़े का पानी और भी जल्दी-जल्दी ठंडा होने लगता है।
सत्तू बेचने वाला इसीलिए ऐसा करते हैं कि वह उस पानी को Commercial use करते हैं । इसीलिए वह सत्तू पानी बेचने वाला पानी को जल्दी-जल्दी ठंडा करने के लिए यह तकनीक अपनाना पड़ता है । जिसके कारण पानी जल्दी-जल्दी ठंडा हो सके । इसीलिए सत्तू पानी बेचने वाला घड़े पर लाल कपड़ा ही बांधते हैं ।
गर्मी के दिनों में बोतल (Bottle) का पानी ठंडा कैसे करें
गर्मी के दिनों में गर्मी अधिक तेजी से पड़ने के कारण बॉटल में रखा पानी भी गर्म हो जाता है । चाहे वह बॉटल (Bottle) प्लास्टिक का बना हो या फिर स्टील का कोई भी बॉटल हो उसमे रखा जल गर्मी के दिनों में गर्म हो ही जाता है। जिसके कारण उस पानी को कोई भी व्यक्ति पीना पसंद नही करते है। तो चलिए अब समझते है , की गर्मी के दिनों में बॉटल का पानी ठंढ़ा कैसे करे इसके बारे में , जब बॉटल में रखा पानी गर्म हो जाए तो उसे पीने के लिए ठंडा करने का एक सरल एवं भौतिक उपचार हैं जो इस प्रकार हैं।
आपको सबसे पहले एक ऊनी वस्त्र का टुकड़ा लेना होगा उसके बाद उस कपड़े के टुकड़े को बोतल के चारों तरफ लपेट दें उसके बाद उस बोतल पर लपेटे हुए कपड़े को पानी से भींगो दे , इससे यह होगा की बोतल पर लपेटे हुए कपड़े में जो पानी है। वह पानी वाष्प बनकर वायुमंडल में धीरे-धीरे उड़ते रहेगी और वह बोतल में रखा पानी से ऊष्मा भी धीरे-धीरे उड़ते रहेगी । जब बोतल में रखा पानी से ऊष्मा उड़ जाएगी, तब बोतल में रखा पानी ठंडा हो जाएगी और वह गर्मी के दिनों में वह पानी पीने योग्य बन जाएगी।
सब्जी बेचने वाला सब्जी पर पानी का छिड़काव (vegetable sellers spray water) क्यों डालते है।
अक्सर ऐसा देखने को मिलता है की सब्जी बेचने वाला अपने सब्जी के उपर हल्का - हल्का पानी का छिड़काव करते रहते है । क्योंकि वह जानते है की यदि सब्जी को ठंडा एवं ताजा बनाए रखना है तो उस पर हल्का - हल्का पानी का छिड़काव करना बहुत जरूरी है |
यदि ऐसा हम नहीं करते है तो हमारी सब्जी धूप से मिलने वाली ऊष्मा (प्रकाश) के कारण वह मूर्छा जाएगी एवं सुख जायेगी और गर्म हो जाएगी । इसीलिए उस। ऊष्मा को वायुमंडल में उड़ाने के लिए सब्जी बेचने वाले भी अपने सब्जी पर हल्का हल्का पानी का छिड़काव करता है ।
इससे ये होता है की उसकी सब्जी ताजी बनी रहती है । क्योंकि सब्जी पादप पदार्थ होती है । जिसके कारण उसे पानी का छिड़काव मिलने से उसे नमी एवं आद्रता मिलती रहती है। और यही वजह है की सब्जी वालो के पास सब्जी हमेशा ताजा ही देखने को मिलता है।
सब्जी पर पानी का छिड़काव पड़ने से सब्जी के भार में भी बड़ोतरी होती है । जो उसका डायरेक्ट फायदा होती है । पानी से क्योंकि पानी में नही ही पूंजी लगती है और न ही ज्यादा मेहनत , इसीलिए उनका इसका डायरेक्ट बेनिफिट देखने को मिलता है ।
पानी से वजन बड़ने वाला सब्जी का नाम है । जो इस प्रकार है साग भिंडी , करेला , बैंगन, बरबटी , भतुआ इत्यादि ।
गर्मी के दिनों में छत को जल्दी ठंडा कैसे करें?
गर्मी के दिनों में हमारे घर की छत गर्म हो जाती है । आईए अब जानते है, गर्मी के दिनों में छत को जल्दी ठंडा कैसे करें इसके बारे में | क्योंकि गर्म हुआ छत को ठंडा करना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि गर्मी के दिनों में घर में बहुत गर्म लगती हैं। इसीलिए घर में सोने के बजाय घर के छत पर सोना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि छत पर जब सोने जाते हैं तब उन्हें हल्का-हल्का नेचुरल हवा लगने की अनुभूति होती हैं। जो उस समय सोने में बहुत अच्छा लगता है।
इसीलिए हर कोई व्यक्ति गर्मी के दिनों में अपने घर की छत को ठंडा करना चाहता है। जिसे उन्हें छत की तापमान (ऊष्मा) का अनुभव न हो। आइए अब जानते है , घर की छत को कैसे ठंडा करें इसके बारे में ।
हमारे पूर्वज अक्सर ऐसा कहा करते थे की छत को ठंडा करने के लिए छत पर डायरेक्ट पानी मत डालो । इससे केवल और केवल धाह ही धाह फेकेगा । क्योंकि उसकी ऊष्मा डायरेक्टर निकल रही है । जो हानिकारक भी हो सकती है। इसीलिए हमारे पूर्वज कहते हैं, कि जब छत को ठंडा करना है तो आपको सबसे पहले एक बाल्टी में पानी लाए और उसके साथ एक जग भी रखें । उसके बाद उस पानी को जग की मदद से छत पर हल्का-हल्का पानी का छिड़काव करें । यह प्रक्रिया जब तक करते रहे तब तक छत पूरी तरह से ठंडा ना हो जाए इस प्रक्रिया में आपको समय देना होगा । क्योंकि जितना ऊष्मा छत में बनी है उस ऊष्मा को पानी की मदद से वायुमंडल में उड़ना होता है ।
जितना हल्का-हल्का पानी छीटेंगे छत पर उतना ही छत से ऊष्मा जल्दी-जल्दी बनेगा और वह वायुमंडल में उड़ेगा । इस प्रोसेस से गर्मी के दिनों में घर की छत को ठंडा किया जाता है । इससे यह पता चलता है की Physics हर जगह पर है ।
ठीक उसी प्रकार सब्जी बेचने वाला भी ऐसा ही करते है । जिसे उनका सब्जी ठंडा एवं ताजा बना रहे ।
Conclusion : निष्कर्ष
गर्मी के दिनों में घड़े का पानी ठंडा होने का में कारन है की उस समय तापमान अधिक पड़ती है , जिसके कारन जल का वाष्पीकरण भी तीव्र गति से होती है | अब जानते है की गर्मी के दिनों में घड़े का पानी ठंडा क्यों होता है इसके वारे में क्योकि यह सिद्धांत physic पर आधारित है | घड़े में छोटे - छोटे कैपेलरी केशिक तत्व होते है अर्थात छोटे - छोटे छिद्र होती है | जिसके कारण घड़े में रखा पानी उस whole की मदद से धीरे - धीरे , रिस - रिस कर बाहर आते रहते है , और उस पानी का वाष्पीकरण बहुत तेजी से होता रहता है | जिसके कारन घड़े में उपस्थित जल से सारि ऊष्मा वायुमंडल में उड़ जाती है | और वह पानी बहुत ठंडा हो जाती है | जो पिने योग्य बन जाती है |
ठीक उसी प्रकार बोतल का भी पानी ठंडा किया जाता है | बोतल के चारो तरफ कपड़ा लपेटकर | इसके आलावा गर्मी के दिनों में छत (Roof) को भी ठंडा करने का यही तरीका है | पानी का छिड़काव डाल - डाल कर जिसे छत से ऊष्मा वायुमंडल में उड़ सके | इसके आलावा सब्जी बेचने वाला भी अपने सब्जी को ठंडा एवं ताजा रखने के लिए अपने सब्जी के ऊपर पानी का छिड़काव करते है |
FAQs.
घड़े खराब कैसे हो जाता है?
घड़े ख़राब होने का मेन कारण यह है की, घड़े फुट जाये या फिर उसे Clean करते समय कुछ नियमों का पालन नहीं करना | घड़े साफ करने का नियम यह है की घड़े की छिद्र (कैपेलरी केशिक तत्व) को खराब होने से बचाना है | अगर कोई व्यक्ति घड़े को साफ करते है तो घड़े की आंतरिक सतह को किसी रुखिले प्रकार के वस्तु से अगर रगड़ - रगड़ कर साफ करते है तो निश्चित ही घड़े का छिद्र ख़राब हो जायेगा | अगर ऐसा हुआ तो फिर घड़े में पानी ठंडा नहीं होगी | इसीलिए हम कह सकते है की घड़े खराब हो गया है |
ख़राब घड़े में पानी ठंडा कैसे करे?
ख़राब घड़े में पानी को ठण्डा करने का मात्र एक ही उपाय है जो इस प्रकार है - घड़े के ऊपर लाल वस्त्र के टुकड़े से उसे बांध दे, उसके वाद उस बंधे हुए घड़े के ऊपर पानी से भिंगो दे | ऐसा करने से ये होगा की उस भींगे हुआ कपड़े में पानी का वाष्पीकरण बहुत आसानी से हो जाता है | जिसके कारन उस घड़े में उपस्थित जल से ऊष्मा वायुमंडल में आसानी से उड़ जाती है | और वह घड़े का पानी ठंडा हो जाती है |
मिट्टी के बर्तन कौन बनाते है?
मिट्टी के बर्तन को बनाने का कार्य कुम्हार या शिल्पकार का होता है |