Lateral entry kya hai (डायरेक्ट भर्ती upsc in hindi IAS list)

 lateral entry का मतलब है की किसी ऐसे उच्च पद जहाँ पर डायरेक्ट Join (भर्ती) हो जाना, जहाँ से अपने विभाग के उन सभी कार्यो के वारे निर्णय लेने की क्षमता होती है | इससे ऊपर उस विभाग में और कोई दूसरा उच्च पद नहीं है | ऎसे पद पर अगर किसी विशेषज्ञ (expert) की डॉयरेक्ट भर्ती (joining) होती है तो उसे हम Lateral entry कहते है ।

Lateral entry UPSC IAS List

Lateral entry के लिए पद का नाम है जो इस प्रकार है ।

1. संयुक्त सचिव

2. निदेशक

3. उप सचिव

ऐसे important पद की संख्या कुल 45 है 24 मंत्रालयों से जहाँ पर विभिन्न विभागों में निर्णय लेने की क्षमता होती है ।

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UPSC ने एक विज्ञापन (Notification) जारी किया है और उस विज्ञापन के माध्यम से Lateral entry की वात कहीं है तो आइये आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि Lateral entry kya hai (लैटरल एंट्री क्या है) और हमारे Government मोदी सरकार इस Lateral entry को क्यों लाना चाह रहे थे,और उसके बाद वह लैटरल एंट्री को लागू करने से पीछे क्यों हट गए । इस आर्टिकल में इसके बारे में विस्तार से चर्चा होगी, जो इस प्रकार है ।

भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी लैटरल एंट्री को इसलिए लाना चाह रहे थे कि उनका मानना है कि देश को विकासशील बनाना है तो देश के अंदर जितने भी विशेषज्ञ हैं चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो उन सभी के विशेषज्ञ ज्ञान को देश के डेवलपमेंट के कार्य में लाना अच्छा होगा। उन विशेषज्ञों के द्वारा दिया गया सुझाव एवं निर्णय देश के विकास के हित में बहुत कारगर साबित होगा। जिससे हमारा देश एवं मानव समाज बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ेगा और पूरे विश्व में हमारा देश का नाम रोशन होगा। चाहे वह deveploment के किसी भी क्षेत्र में हो जैसे टेक्नोलॉजी , एजुकेशन, मेडिसिंस उत्पाद, आईटी सेक्टर, चिकित्सा इत्यादि। 

इन सभी Development के क्षेत्र में विकास के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह एवं विचार विमर्श करने के बाद जो निर्णय लिया जाएगा वह उस field के विकास के लिए 100% कारगार साबित होगी ।

जिस प्रकार (expert) विशेषज्ञों के द्वारा परमाणु परीक्षण एवं एवं ISRO जैसी संस्था 100% सफल हुआ ठीक उसी प्रकार और भी जितने भी क्षेत्र में विशेषज्ञों के द्वारा कार्य किया जायेगा वह भी 100% सफल होगा । क्योंकि विशेषज्ञ बनने के लिए IAS का होना अनिवार्य नहीं होता है । Speslist कोई भी व्यक्ति बन सकता है । अपने-अपने कार्यों में अपने - अपने कौशल के दम पर इसीलिए उन सभी के प्रतिभा को देश के प्रगति के लिए उपयोग में लाना देश के विकाश के लिए बहुत अच्छा होगा ।

इसीलिए अगर कोई योग व्यक्ति हैं तो उसे भी उच्च स्तर के पद पर जैसे संयुक्त सचिव, निर्देशक और उपसचिव जैसे पदों पर डायरेक्ट जॉइनिंग (भर्ती) Without UPSC के द्वारा होना चाहिए। और उनके Expert होने का फायदा लेना चाहिए, देश के विकास के लिए। जिस प्रकार ISRO, परमाणु विज्ञान, शोध क्रांति और हरित क्रांति जैसे इतने बड़े-बड़े कार्य स्पेशलिस्ट के माध्यम से 100% सफल हुआ है। ठीक उसी प्रकार देश के विकास के लिए और भी बहुत ऐसे कार्य सफल हो सकता है विशेषज्ञों ( Speslist) के माध्यम से इसीलिए विशेषज्ञ (speslist) को चाहे किसी भी क्षेत्र का हो सरकारी क्षेत्र का हो या फिर प्राइवेट क्षेत्र का या फिर किसी निजी संस्था का उन सभी स्पेशलिस्ट को देश को सेवा करने का एक मौका मिलना चाहिए । जिसे डेवलपमेंट के क्षेत्र में वृद्धि हो सके, इसीलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने lateral entry को वर्ष 2018 में लागू किया गया था।

लैटरल एंट्री के माध्यम से स्पेशलिस्टों को उच्च स्तर के पदों पर जैसे - संयुक्त सचिव, निर्देशक और उपसचिव जैसे - टॉप स्टार के पदों पर डायरेक्ट भर्ती (Without UPSC) के माध्यम से उन विशेषज्ञों की टॉप पोजीशन की पदों पर डायरेक्ट भर्ती होगी, जिसे देश के  विकास के क्षेत्र में प्रगति हो सके तीव्र गति से ।

इस नियम को मोदी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2018 में लागू कर दिया गया था । जिसके उपरांत वर्ष 2018 से वर्ष 2024 तक कुल 63  Officers की नियुक्ति हुई थी। लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा था। इसीलिए वर्ष 2024 में हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने और विपक्ष के नेता माननीय श्री राहुल गांधी जी के दिशा निर्देशों को मध्य नजर रखते हुए इस कानून को खारिज कर दिया गया है। 

क्योंकि उनका मानना है कि अगर यह कानून देश में रहेगा तो समाज में असंतुलन पैदा होगा और देश में नौकरशाही प्रथा बन जाएगी। हर अधिकारी एवं मंत्रीगण अपने-अपने भाई बंधुओं को स्पेशलिस्ट का झूठा ढोंग रचाकर सरकारी विभाग के बड़े-बड़े पदों पर कब्जा कर लेगा । और अपनी अपनी मनमानी करती रहेगी। इससे हरेक विभाग बर्बाद हो सकता है। क्योंकि आज के सभी व्यक्ति स्वार्थी एवं लालची हो गई है, किसी को देश की फिक्र नहीं है, ऐसा देखने को मिल रहा है।

इसीलिए अगर उच्च स्तर के पद पर Government की पूरी कंट्रोल नहीं रहेगी तो यह देश बर्बाद भी हो सकता है। इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस कानून को वर्ष 2024 में वापस ले लिया है। 

चलिए अब समझते हैं लैटरल एंट्री की सहायता से किसी भी विभाग के उच्च स्तर के पद पर जहाँ से निर्णय लेने की क्षमता होती है । ऐसे बड़े-बड़े पदों पर without UPSC डायरेक्ट भर्ती कैसे होती है इसके बारे में Lateral entry को वर्ष 2018 में सर्वप्रथम लागू किया गया था। सिर्फ और सिर्फ स्पेशलिस्ट (विशेषज्ञों) के लिए। जिस व्यक्ति के पास किसी एक विभाग में विशेषज्ञ ज्ञान है वह व्यक्ति लैटरल एंट्री की हेल्प से संयुक्त सचिव , निदेशक , और उपसचिव जैसे बड़े-बड़े पदों पर भर्ती के लिए योग्य हो सकता है। चाहे वह व्यक्ति सरकारी संस्था से हो या फिर प्राइवेट संस्था से या फिर किसी निजी क्षेत्र से कोई भी व्यक्ति विशेषज्ञ होने के कारण ऐसे बड़े-बड़े पदों पर Without UPSC भर्ती हो सकती हैं। जिसे देश के विशेषज्ञ ज्ञान का लाभ मिल सके और देश का विकास काफी तीव्र गति से हो सके । 

Heading : मोदी सरकार (BJP पार्टी) के द्वारा आरक्षण को खत्म करने की कोर्सिस की गई ! जाने विस्तार से Lateral entry kya hai और इसके माध्यम से उच्च स्तर के पदों पर डायरेक्ट भर्ती (Without UPSC In Hindi) के माध्यम से Jobs कैसे होगी! और इसका Full Processes एवं eligibility क्या होगा।

एक बार फिर से आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की गई है। BJP सरकार के द्वारा लेकिन इस processes में उन्हें नाकामयाब ही मिला है । उनके इस कोर्सिस को विपक्ष के नेता माननीय श्री राहुल गांधी जी ने उन्हें करारा जवाब दिया है । इसीलिए मोदी सरकार इस कानून को वापस ले लिया है। अर्थात lateral entry के माध्यम से आरक्षण को खत्म करने में उन्हें सफलता नहीं मिली है।
आईए अब हम जानते हैं कि लैटरल एंट्री क्या है, इसके बारे में जिसे आरक्षण खत्म हो सकता था। और देश को फिर से एक प्रकार के नौकरशाही प्रथा का सामना करना पड़ सकता था।
Lateral entry की हेल्प से कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र का चाहे वह सरकारी विभाग का हो या फिर प्राइवेट सेक्टर का या फिर निजी क्षेत्र से कोई संस्थाओं एवं संस्था के कोई भी व्यक्ति अपने स्पेशलिस्ट का फायदा उठाकर किसी भी विभाग के सबसे उच्च स्तर जैसे : संयुक्त सचिव, निर्देशक और उपसचिव जैसे - बड़े-बड़े पदों पर अगर कोई भी व्यक्ति स्पेशलिस्ट (विशेषज्ञ) होने के वजह से अगर उनका डायरेक्ट भर्ती (विदाउट यूपीएससी) के द्वारा अगर भर्ती होती हैं तो उसे हम लैटरल एंट्री कहते हैं।
अब जानते हैं लैटरल एंट्री के माध्यम से जॉब्स कैसे लगते हैं, एवं इसका योग्यता क्या होती है और इसका फुल प्रोसेस क्या होता है इस पोस्ट में हम इन्हीं सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
1. Eligibility (योग्यता) की बात करें तो इसमें संयुक्त सचिव के लिए कम से कम 15 साल की विशेषज्ञता (Expert) होनी चाहिए ,और आयु सीमा की बात करें तो उसमें कम से कम 40 से 55 साल की होनी चाहिए।
2. ठीक उसी प्रकार निदेशक के लिए स्पेशलिस्ट (विशेषज्ञता) कम से कम 10 वर्ष और उम्र सीमा की बात करें तो 35 से 45 वर्ष तक
3. और उपसचिव के लिए कम से कम 7 साल का (एक्सपीरियंस) विशेषज्ञता के लिए और उम्र सीमा कम से कम 32 से 40 साल होनी चाहिए।
4. Lateral entry के माध्यम से jobs कैसे लगते हैं इसका फुल प्रोसेस कुछ इस प्रकार हैं - जो व्यक्ति लैटरल एंट्री के माध्यम से उच्च स्तर के पदों पर नौकरी करना चाहते हैं तो, उन्हें सबसे पहले विशेषज्ञ बनना होगा, अपना कार्य क्षेत्र में उसके बाद वह व्यक्ति अपने स्पेशलिस्ट विशेषज्ञ का उपयोग कर कुछ ऐसे ऐसे कार्य करना होगा। जिसे हमारा देश गर्व कर सके उसके बाद वह व्यक्ति इस विभाग के कार्य को और बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए सरकार से अनुमति मांग सकते हैं । उच्च स्तर के पदों के लिए अगर उनका कार्य प्रभावी ढंग से होगा , तब गवर्नमेंट उच्च स्तर के पद देने के लिए उनसे मौखिक टेस्ट लगा। अगर वह व्यक्ति इस टेस्ट में पास हो जाती है । तब ही उन्हें उच्च स्तर के पद पर नौकरी मिल सकती हैं ।
अनुबंध के तौर पर यानी सिर्फ 3 इयर्स के लिए उसके बाद उसे 2 साल और यानी 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। यह है lateral entry की माध्यम से नौकरी पाने का सबसे सरल तरीका ! जिसे फॉलो करना बहुत कठिन होता है ।

Lateral entry meaning in hindi (लैटरल एंट्री मीनिंग इन हिंदी)

Lateral entry meaning in Hindi : क्या नाम से ही स्पष्ट होता है कि हिंदी में lateral entry को क्या कहते हैं तो आईए जानते हैं लैटरल एंट्री का हिंदी शाब्दिक नाम के बारे में, हिंदी में इसको पार्श्व प्रवेश कहते है। अर्थात वैसा व्यक्ति जिनको बिना लिखित परीक्षा के सिर्फ और सिर्फ विशेषज्ञ के दम पर उसे विभाग के ऐसे पद पर भारती हो जाना जहां से उस विभाग के सभी कार्यों के बारे में निर्णय लेने की क्षमता होती है। उसे ही पार्श्व प्रवेश कहा जाता है। अब समझते हैं पार्श्व प्रवेश की शुरुआत कब हुई थी और कैसे हुई थी इसके बारे में

Lateral entry की शुरुआत कब हुई थी और कैसे हुई थी?

Lateral entry पर सन 1971 से पहले से कार्य चल रहा था उसे समय हमारे देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार हुआ करती थी सन 1971 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह किसी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त था।
उनको वहां से डायरेक्ट उठाकर भारत के आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। लेकिन उस समय यह विधेयक कानून नहीं बना था। लेकिन सन 2018 में बीजेपी पार्टी (मोदी सरकार) के कार्यकाल में लैटरल एंट्री को विधेयक के रूप में पारित कर लागू कर दिया गया था। लेकिन सन 2024 में मोदी सरकार 3.Oके शासनकाल में इस कानून देश के पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है।
अर्थात लैटरल एंट्री को सन 2018 में प्रथम बार शुरुआत की गई थी।

Lateral entry: UPSC IAS List 2024

लैटरल एंट्री को वर्ष 2018 में लागू किया गया था , प्रथम बार 2018 से 2024 तक लैटरल एंट्री के द्वारा नियुक्त किया गया ऑफिसर्स की कुल संख्या 63 थी। लेकिन अभी वर्तमान में सिर्फ है 57 ऑफिसर से ही कार्यरत पर है ।
इन सभी अफसरों की अवधि जैसे-जैसे समाप्त होगी, वैसे-वैसे Officro की संख्या कम होती चले जाएगी ।
Lateral entry के मध्यम से नियुक्त किया गया अफसरों की और अंत में लैटरल एंट्री के द्वारा नियुक्त अफसरों की संख्या समाप्त हो जाएगी । यह आंकड़ा लगभग 5 years तक देखने को मिलेगी । क्योंकि उनके अनुबंध सिर्फ 3 साल की होती है और उसे केवल 2 साल के लिए और अर्थात 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। यही है लैटरल एंट्री के नियुक्ति IAS List.

Lateral entry के फायदे (benifits)

देश के विकास के क्षेत्र में लैटरल एंट्री के फायदे बहुत ही अहम भूमिका निभाती हैं , क्योंकि इस प्रक्रिया से देश के अंदर जितने भी स्पेशलिस्ट होते हैं, चाहे कोई भी विभाग हो आईटी सेक्टर हो या टेक्नोलॉजी एजुकेशन क्षेत्र हो या फिर चिकित्सा कोई भी विभाग हो सरकारी संस्था हो या फिर प्राइवेट सैक्टर, या निजी क्षेत्र उन तमाम विशेषज्ञ पर government की निगाहे (नजर) होती है।
जब गवर्नमेंट को किसी भी विभाग में उच्च पद के लिए बहुत ही जानकार स्पेशलिस्ट की आवश्यकता होती हैं तो वह लैटरल एंट्री के माध्यम से without upsc के किसी ऐसे विशेषज्ञ को chief sectory के पद पर डायरेक्ट 3 years के लिए भर्ती करवा लेते हैं। जिसे उस विभाग में अगले 3 वर्ष तक जो भी कार्य होगा, वह उस स्पेशलिस्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार ही होगा । अगर उनका कार्य प्रभावी ढंग से होगा तो उनकी नौकरी की अवधि 2 साल और अर्थात 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है ।
जिसे देश को फायदा मिल सके , इससे सरकार को उस विभाग में जो भी कार्य होता है । वह उस कार्य से सरकार एवं देश के सभी नागरिकों के हित में होता है। जिसे सभी के सभी पूरे देशवासी प्रभावित होती हैं । इसीलिए सरकार without u लैटरल एंट्री के माध्यम से उच्च पद के लिए स्पेशलिस्ट को भर्ती करवाना चाहता है । स्पेशलिस्टों द्वारा देश में किया गया कार्य का उदाहरण इस प्रकार हैं जिसे पूरे देश प्रभावित हुआ है । ISRO के संस्थापक के सतीश धवन और विक्रम साराभाई कोई यूपीएससी क्वालीफाई नहीं किया था IAS नहीं था । इसके अलावा और भी कई सारे विभाग हैं जिनमे स्पेशलिस्ट का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कोई भी IAS नहीं था । फिर भी वह इतने बड़े-बड़े कार्य किया कि जिसे पूरे देश प्रभावित हुए हैं । जैसे - सोध क्रांति लाने वाले वर्गिच कोरियन IAS नहीं थे, हरित क्रांति लाने वाला स्वामीनाथ IAS नही थे । सब के सब स्पेशलिस्ट था यहां तक कि हमारे देश के परमाणु परीक्षण करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर APJ अब्दुल कलम भी IAS नहीं थे ।
भारत में जो भी बड़ा कार्य हुआ है जिसे पूरा देश प्रभावित हुआ है किसी यूपीएससी क्वालीफाई अर्थात IAS ने नहीं किया है। सब के सब अपने-अपने क्षेत्र के स्पेशलिस्ट ही था। यही है लैटरल एंट्री के फायदे बेनिफिट्स अगर लैटरल एंट्री के माध्यम से चीफ सेक्रेटरी के पद पर किसी विशेषज्ञ की नियुक्ति होती है तो और भी बड़े-बड़े कार्य हो सकती है जिस पर पूरा देश गौरवांवित महसूस कर सकता है , और हमारा देश तीव्र गति से विकास कर सकता है। अब जानते है लैटरल एंट्री के नुकसान के बारे में

Lateral entry के नुक्सान


Lateral entry के द्वारा डायरेक्ट भर्ती लेने पर उस ऑफिसर्स के द्वारा विशेषज्ञ होने का फायदा तो देश को मिलेगा ही लेकिन इसका कुछ नुकसान भी हैं। यही वह कारण है, जिसकी वजह से संसद में लैटरल एंट्री को लागू करने से देश के विपक्ष के नेता माननीय श्री राहुल गांधी जी के द्वारा विरोध करने पर, इस कानून को हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वापस ले लिया है । और उस कानून को लागू होने से रोक दिया गया है। यह कानून कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में लागू किया गया था । भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को 1971 में केंद्र सरकार ने उन्हें आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था पहली बार, इसीलिए इसे लिटरल एंट्री के एक उदाहरण मान सकते हैं । चुकी इससे पहले वह किसी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त था ।
क्योंकि अगर यह कानून पास हो गया तो देश में अस्थिरता एवं अराजकता पैदा होगा । ऐसा इसलिए हम कह रहे हैं कि जितने भी बड़े-बड़े ऑफिसर्स होंगे और जितने भी बड़े-बड़े मंत्री होंगे सब के सब इस कानून का विपरीत फायदा उठाने लगेगा । सब के सब उच्च उच्च पद पर अपने-अपने भाई बांधो एवं परिवारों को विशेषज्ञों का झूठा ढोंग रचकर अपने-अपने परिवारों को भर्ती करवा लेगा। इससे देश को नुकसान ही नुकसान होगा और यह एक नौकरशाही (Officers) शाही System (पद्धति) बन जाएगी ।
हमारे देश में पढ़ने वाले विद्यार्थी जो UPSC की तैयारी करते हैं उनका मनोबल टूट जाएगा। क्योंकि Lateral entry विज्ञापन में यह साफ-साफ लिखा है की जो विद्यार्थी यूपीएससी की तैयारी करेगा वह लैटरल एंट्री के माध्यम से उच्च पद पर उन्हें डायरेक्ट भर्ती नहीं होगी । इसीलिए यूपीएससी की तैयारी करने वाले विद्यार्थी का मनोबल टूट जाएगा, और वह तैयारी करने से पीछे हट जाएगा । क्योंकि इतने सारे मेहनत करने के बावजूद भी उनको उच्च पद पर नहीं रखा जाएगा जहां से निर्णय लेने की क्षमता होती है। ऐसे में उनको ऐसे Officesers के नीचे रहकर कार्य करना होगा जो उस पद के लायक नहीं होगा । वह खाली स्पेशलिस्ट होने का सिर्फ नाटक कर रहा होगा ।
क्योंकि यह ऐसा कानून ही है की स्पेशलिस्ट के चक्कर में देश में नौकरशाही प्रथा बन जाएगी । यही है lateral entry के महत्वपूर्ण नुक्सान जिसकी वजह से इस कानून को देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी को वापस लेना पड़ा है ।

Lateral entry में आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं है?

लैटरल एंट्री में आरक्षण नहीं होने का मेन कारण यह है कि lateral entry के द्वारा UPSC जो अधिकारी नियुक्त करेंगे वह सब के सब Induvizual post होंगे अर्थात सब के सब पद अलग - अलग होंगे यानी एकल - एकल होंगे । यह 13 बिंदु रोस्टर पर आधारित पद नहीं होगा । अगर यह 13 बिंदु रोस्टर पर आधारित पद होता तो यह संयुक्त पद होता उसमें आरक्षण मिल सकता था।
लेकिन यह जो पद है 24 मंत्रालयों के लिए सिर्फ 45 पद हैं, जो सब के सब पद अलग-अलग हैं। अर्थात एकल हैं। हर एक विभाग के लिए एक-एक पद हैं । इसीलिए इसमें आरक्षण का प्रावधान नहीं दिया गया है। अगर एक-एक पद न होकर संयुक्त पद होता तो उसमें आरक्षण स्वयं ही मिलता । अगर आप इसके बारे में और भी डिटेल्स में जानना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए वीडियो को पूरा देखें आपको पूरा के पूरा बहुत अच्छे से समझ में आ जाएगा। इसके अलावा आप FAQ भी पढ़ सकते है। जो UPSC की परीक्षा के लिए बहुत important है ।

Conclusion : निष्कर्ष

इस Blog Post को पढ़ने से यह निष्कर्ष निकलता है कि एंलैटरलट्री के माध्यम से कोई भी विशेषज्ञ चाहे वह सरकारी विभाग का हो या फिर प्राइवेट सेक्टर का या फिर कोई निजी क्षेत्र का संस्था एवं संस्थाओं से, कोई भी व्यक्ति को उच्च स्तर के पदों पर अनुबंध के तौर पर भर्ती होने का मौका मिलता है। आई अब हम लैटरल एंट्री के बारे में डिटेल्स में जानते हैं की लैटरल एंट्री क्या है, लैटरल एंट्री के माध्यम से कोई भी विशेषज्ञ अपने विशेषज्ञ के दम पर अपने-अपने विभाग के सबसे उच्च स्तर के पद पर जहां से निर्णय लेने की क्षमता होती हैं । जैसे :- संयुक्त सचिव, निर्देशक और उपसचिव जैसे- बड़े-बड़े पदों पर डायरेक्ट भर्ती (without upsc) के द्वारा लैटरल एंट्री की माध्यम से 3 वर्ष के लिए अनुबंध के तौर पर अगर उनका भर्ती होता है । तब उसे लैटरल एंट्री कहा जाता है।
अगर उस एक्सपर्ट का कार्य प्रभावी ढंग से होता है, तब उन्हें 2 साल और यानी 5 साल तक के बढ़ाया जा सकता है। देश के हित के लिए एवं देश के विकास के लिए।
अब जानते हैं लैटरल एंट्री के लिए eligibility और आयु सीमा क्या है इसके बारे में , लैटरल एंट्री के माध्यम से नौकरी पाने के लिए आपको किसी एक विभाग में एक्सपर्ट बनाना होगा। उसके बाद उस विशेषज्ञ के दम पर उन्हें कुछ प्रभाबी कार्य करते रहना होगा, जिसे देश एवं देश के नागरिकों को लाभ मिल सके एवं प्रभावित होते रहे । उसके बाद लैटरल एंट्री के लिए अप्लाई करते रहे।
इसमें उम्र सीमा है संयुक्त सचिव के लिए 40 से 55 साल और एक्सपीरियंस 15 वर्ष है । ठीक उसी प्रकार निदेशक के लिए उम्र सीमा है 35-40 years और एक्सपीरियंस है 10 वर्ष , उपसचिव के लिए age limits 35-45 years , experience कम से कम 7 साल
अब जानते है लैटरल एंट्री की शुरुआत कब हुई थी , lateral entry की शुरुआत BJP Party के कार्य कल में वर्ष 2018 में हुई थी । उस समय देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी था । वर्ष 2018 से 2024 तक लैटरल एंट्री के द्वारा नियुक्त IAS List की संख्या कुल 63 है । जो वर्तमान में प्रभावी ढंग से कार्य कर रहे है ।
Lateral entry के फायदे के साथ - साथ इसका कुछ नुकसान भी है । जो देश मे आराजकता एवं असंतोष की भावना उत्पन्न कर सकता है। इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी इस कानून को खारिज कर दिया है जिसे हमारे देश में शांति बना रहे । लैटरल एंट्री लागू रहने देश में नौकरशाही प्रथा बन सकता था । क्योंकि इसमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है ।




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